भारत ही नहीं विश्व के अनेक देशों में श्री हनुमान जी के मंदिरों की एक पूरी श्रृंखला है| विदेशों में कम्बोडिया, इंडोनेशिया, श्रीलंका, लाओस, मॉरिशस, मलेशिया, फिजी, सूरीनाम, गयाना, टेक्सास, एवं त्रिनिदाद आदि स्थानों पर श्री हनुमान जी के अद्वितीय मंदिर निर्मित हैं|

यूँ तो पूरी दुनिया में जहाँ पर भी हिन्दू मंदिर है उनमें छोटी ही सही पर श्री हनुमान जी की मूर्ति होती ही है| किन्तु, मुख्य रूप से केवल "श्री हनुमान जी" के मंदिर लगभग न के बराबर हैं| परन्तु फिर भी दुनिया के कई इलाकों में, श्री हनुमान जी के भव्य मंदिर एवं दर्शन स्थल निर्मित हैं, जिनके बारे में नीचे दिया गया है:

 

> कार्य सिद्धि हनुमान मंदिर, फ्रिस्को – टेक्सास
> कार्य सिद्धि हनुमान प्रतिमा, कारापिचैमा - त्रिनिदाद तथा टोबागो
> सीता एलिया मंदिर, नुवारा एलिया, श्रीलंका
 
कार्य सिद्धि हनुमान मंदिर, फ्रिस्को – टेक्सास
यह समूचे उत्तरी अमेरिका और यूरोप का एक मात्र हनुमान मंदिर है जहाँ पर श्री हनुमान जी की प्रस्तर की मूर्ती विद्यमान है| इस भव्य मंदिर का निर्माण परम पूज्य स्वामी जय गुरु दत्ता जी ने कराया है| इसी साल की आषाढ़ एकादशी में इस मंदिर का उदघाटन श्री स्वामीजी के कर कमलों द्वारा हुआ| यह मंदिर अत्यंत लोकप्रिय है| इस मंदिर का ढांचा पटना, बिहार के प्रसिद्द महावीर हनुमान मंदिर के जैसा है| यहाँ पर एक सांकृतिक केंद्र भी है, जो दर्शनीय है|
कार्य सिद्धि हनुमान प्रतिमा, कारापिचैमा - त्रिनिदाद तथा टोबागो
त्रिनिदाद तथा टोबागो के कारापिचैमा नामक स्थान पर श्री हनुमान जी की प्रस्तर से निर्मित एक 85 फुट ऊंची मूर्ति स्थापित है| इस मूर्ति की स्थापना अवधूत दत्तापीठम (मैसूर) के पीठाधीश स्वामी श्री गणेश सच्चिदानंद जी ने करायी थी| यह हनुमान मूर्ति (भारत के बाद) समूचे विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति है| यहाँ की भव्यता को देखने के लिये यहाँ हर साल लाखों की तादाद में लोग दर्शन करने आते हैं|
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सीता एलिया मंदिर, नुवारा एलिया, श्रीलंका
चित्रकूट के समीप सीतापुर से तीन मील तथा कोटितीर्थ से दो मील की दूरी पर हनुमानधारा नामक स्थान है| यहाँ पर पास ही के पहाड़ के सहारे हनुमान जी की प्रतिमा टिकी हुई है| पास ही में स्थित कुंड की बहती जलधारा लगातार इस प्रतिमा को स्पर्श करती है, इसलिए इस जगह का नाम हनुमानधारा पड़ा है| यह अत्यंत मनोहर एवं रमणीय स्थान है|
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